आलोचना साहित्य मान भी जाईये साहब ! ‘शोषण’ ही आज का नया ‘पेशा’ है… March 30, 2016 by हिमांशु तिवारी आत्मीय | Leave a Comment गजब है सियासत भी। आज राजनीतिक पार्टियों के इतर आम जिंदगियों में भी उतर आई है। कहीं न कहीं हर पेशे में अब सियासत दिखाई देने लगी है। दरअसल कुछ लोग अपने सह कर्मचारियों के साथ ही निचले तबके में कार्यरत् लोगों का भी शोषण एकदम जनता सरीखे करना चाहते हैं। जैसे कि कल तक […] Read more » exploitation is the new proffession नया 'पेशा' शोषण