कविता साहित्य नारी का दर्द September 17, 2016 by चारु शिखा | Leave a Comment क्यों दर्द हैं उसकी बातों में हमेशा मुस्कुराती है जो , इतना अकेली क्यों हैं वो जो मर्यादित है , जो संयमित है, जो नाजुक है , जो शांत है , आखिर एक अबला है वह उसकी की देह तो सबको दिखती है। उसकी आंतरिक सुंदरता क्यों नहीं दिखती.. कहाँ सुरक्षित है वो घर -बाहर […] Read more » नारी का दर्द