कविता हर रात August 31, 2014 / August 31, 2014 by रवि कुमार छवि | Leave a Comment -रवि कुमार छवि- वो हर रात मेरे साथ सोती है कभी तकिया बन कर तो कभी चादर बनकर वो मेरे बदन से ऐसी लिपटती मानो चंदन के पेड़ पर सांप वो कभी प्रेमिका बनती कभी माशूका कभी चकले की वो लड़की जिसके जिस्म को कईयों ने अपनी नज़र में तराशा उसकी शरारत सोने नहीं देती […] Read more » नींद नींद कविता हर रात