कविता पहलगाम के आँसू April 23, 2025 / April 23, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment वो बर्फ से ढकी चट्टानों की गोद में,जहाँ हवा भी गुनगुनाती थी,जहाँ नदियाँ लोरी सुनाती थीं,आज बारूद की गंध बसी है। वो हँसी जो बाइसारन की घाटियों में गूँजी,आज चीखों में तब्दील हो गई।टट्टू की टापों के संग जो चला था सपना,खून में सना हुआ अब पथरीले रास्ते पर गिरा है। एक लेफ्टिनेंट — विनय,जिसने […] Read more » पहलगाम के आँसू"