दोहे
सिसके माँ का प्यार
/ by हिमकर श्याम
दर्ज़ हुई इतिहास में, फिर काली तारीख़। मानवता आहत हुई, सुन बच्चों की चीख़।। कब्रगाह में भीड़ है, सिसके माँ का प्यार। सारी दुनिया कह रही, बार-बार धिक्कार।। मंसूबे जाहिर हुए, करतूतें बेपर्द। कैसा ये जेहाद है, बोलो दहशतगर्द।। होता है क्यूँकर भला, बर्बर कत्लेआम। हिंसा औ’ आतंक पर, अब तो लगे […]
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