कविता साहित्य प्यारो घणो लागे मन्हें राजस्थान। September 11, 2015 / September 11, 2015 by कुलदीप प्रजापति | Leave a Comment प्यारो घणो लागे मन्हें राजस्थान। ——————————– वीर जाण्या छ जीं धरती न महिमा करि न जावे बखान प्यारो घणो लागे मन्हें राजस्थान। तीज को मेळो बूंदी लागे, कोटा का दशवारो जयपुर की गणगौर रंगीली, पुस्कार दुःख हर सारो, मेवाड़ की आन उदयपुर झीलां की नगरी छ, मेवाड़ चित्तौड़ किला महाराणा की धरती छ, पद्मिनी जोहार […] Read more » poem by kuldeep prajapati प्यारो घणो लागे मन्हें राजस्थान।