कविता सुदर्शन ‘प्रियदर्शिनी’ की पांच कविताएं January 16, 2010 / January 16, 2010 by सुदर्शन प्रियदर्शनी | Leave a Comment औल कल मेरी औल कट जायेगी इतने बरसों बाद। जब मिट्टी से टूटता है कोई तो औल कटती है बार बार। कल मै बनूँगी नागरिक इस देश की जिस को पाया मैने सायास पर खोया है सब कुछ आज अनायास़। कल मेरी औल कटेगी भटकन इतना मायावी तांत्रिक जाल इतना भक भक उजाला इतना भास्कर […] Read more » कविताएँ प्रियदर्शनी सुदर्शन