कविता प्रेम नहीं मजबूर January 12, 2014 / January 12, 2014 by श्यामल सुमन | Leave a Comment -श्यामल सुमन- सुमन प्रेम की राह में, कांटे बिछे अनेक। दर्द हजारों का मिले, चुभ जाता जब एक।। त्याग प्रेम का मूल है, मगर सहित सम्मान। करता हंसकर के सुमन, अपना जीवन-दान।। प्रेम गली में क्यों सुमन, खड़ी मिले दीवार। सदियों से क्यों चल रहा, दुनिया का व्यवहार।। भीतर चाहत प्रेम की, बाहर करे […] Read more » poem प्रेम नहीं मजबूर