कविता
फूले का भारत
/ by डॉ. सत्यवान सौरभ
शूद्र अछूत कहे जिन्हें, जीवन भर लाचार।फूले ने दी सीख तो, खोला ज्ञान-द्वार॥ यज्ञ-जपों की आड़ में, होता रहा प्रपंच।फूले ने जब कहा ‘नहीं’ , टूटा झूठा मंच॥ शिक्षा जिसकी साधारणी, खोले सौरभ द्वार।भेदभाव के जाल से, होता तभी उद्धार॥ सावित्री को साथ ले, रच दी नयी मिसाल।नारी पढ़े, बढ़े तभी, बदले सारे ख्याल॥ पैसे […]
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