कविता बन्धुवर अब तो आ जा गांव ! December 19, 2019 / December 19, 2019 by आलोक पाण्डेय | Leave a Comment खोद रहे नित रेत माफिया नदिया की सब रेती चर डाले हरियाली सारी धरती की सब खेती । आम-पीपल-नीम-बरगद काट ले गए, लग रहे बबूल पर दांव बन्धुवर अब तो आ जा गांव ! समरसता अब खो चुकी धर्म खतरे में घट रहा स्वदेशी घुट रही घर में समाज देश भी बंट रहा । भाई […] Read more » Brother now come to the village! बन्धुवर अब तो आ जा गांव !