कविता बरेदी June 15, 2024 / June 15, 2024 by श्लोक कुमार | Leave a Comment एक हैं जरिया, दिन दुपहरियासमंदर की भांति उर हैं दरियापशुओं को लेकर चल दिया बरेदीएक बेरा खेवत खलियान,पहने कपड़े आधदूजी बेरा चल दिया चरानेभैंस के पगही बांधओ! बरेदी क्या हयात में यही तुम्हारेकभी खुद को भी मुकुर में संवारेतुम्हारी चाल है गोपियों भांतिलगता , मर्दाना काम न आतीखफा न हो ये चाल भीसमाज को दीमक […] Read more » बरेदी