कविता बुरे समय की आंधियां ! December 30, 2020 / December 30, 2020 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment तेज प्रभाकर का ढले, जब आती है शाम !रहा सिकन्दर का कहाँ, सदा एक सा नाम !! उगते सूरज को करे, दुनिया सदा सलाम !नया कलेंडर साल का, लगता जैसे राम !! तिनका-तिनका उड़ चले, छप्पर का अभिमान !बुरे समय की आंधियां, तोड़े सभी गुमान !! तिथियां बदले पल बदले, बदलेंगे सब ढंग !खो जायेगा […] Read more » बुरे समय की आंधियां