गजल बेवफाओ के शहर में कुछ वफ़ा कर जाऊं। April 28, 2022 / April 28, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment वेवफाओ के शहर में कुछ वफ़ा कर जाऊं।जो दिल में है रंजीशे,उन्हे बाहर कर जाऊं।। मिलता नही कोई ठिकाना,जहा आकर बताऊं।अपने आप में ही घुलता हूं,किसे क्या सुनाऊं।। काटी है जिंदगी गरीबी में अब कहां मैं जाऊं।चोरी करनी बसकी नही,दौलत कहां से लाऊं।। ज़ख्म बहुत है दिल में,किस किस को मैं दिखाऊं।जख़्मों पर नमक छिड़क […] Read more » Let me do something in the city of unfaithful people. बेवफाओ के शहर में कुछ वफ़ा कर जाऊं।