व्यंग्य साहित्य भूखे को भूख, खाए को खाजा…!! July 4, 2016 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा भूखे को भूख सहने की आदत धीरे – धीरे पड़ ही जाती है। वहीं पांत में बैठ जी भर कर जीमने के बाद स्वादिष्ट मिठाइयों का अपना ही मजा है। शायद सरकारें कुछ ऐसा ही सोचती है। इसीलिए तेल वाले सिरों पर और ज्यादा तेल चुपड़ते जाने का सिलसिला लगातार चलता ही […] Read more » खाए को खाजा भूख भूखे को भूख