व्यंग्य भैया! पापुलर तो नेपाल वाले प्रचंड भी कम नहीं हुए थे!! December 21, 2013 / December 21, 2013 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment झूठी उम्मीद, कोरा आश्वासन और दोषारोपण। गरीब देश हो अथवा समाज या आदमी। इनकी जिंदगी नियति के इसी तिराहे पर भटकते हुए खत्म हो जाती है। गरीब कोई नहीं रहना चाहता। लेकिन भारतीय संस्कृति व समाज में गरीबी की महिमा अपरंपार है। एक उम्र गुजारने के बाद हमें मालूम हुआ कि धार्मिक आयोजनों में नर – […] Read more » भैया! पापुलर तो नेपाल वाले प्रचंड भी कम नहीं हुए थे!!