कविता भोलाराम का प्रजातंत्र March 13, 2014 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment -प्रभुदयाल श्रीवास्तव- जब पवित्र पावक मनमोहक दिन चुनाव का आता है भोलाराम निकलकर घर से वोट डालने जाता है| किसे चुने या किसे वोट दें नहीं समझ वह पाता है सौ का नोट उसे जो देता वह उसका हो जाता है| दो दिन पहले तक चुनाव के लोग कई घर आते हैं लालच देकर हाथ […] Read more » poem on reality of democracy भोलाराम का प्रजातंत्र