कविता साहित्य
मंदिर जाता भेड़िया
/ by श्यामल सुमन
शेर पूछता आजकल, दिया कौन यह घाव। लगता है वन में सुमन, होगा पुनः चुनाव।। गलबाँही अब देखिये, साँप नेवले बीच। गद्दी पाने को सुमन, कौन ऊँच औ नीच।। मंदिर जाता भेड़िया, देख हिरण में जोश। साधु चीता अब सुमन, फुदक रहा खरगोश।। पीता है श्रृंगाल अब, देख सुराही नीर। थाली में खाये सुमन, कैसे […]
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