धर्म-अध्यात्म विविधा मतलब की दुनिया सारी June 27, 2015 / June 27, 2015 by डॉ प्रवीण तिवारी | Leave a Comment कैफी आजमी साहब की मशहूर गजल देखी जमाने की यारी…. को मैं बहुत पसंद किया करता था उसकी पहली चार पंक्तियां कुछ इस तरह हैं…. देखी जमाने की यारी, बिछड़े सभी बारी बारी क्या लेके मिले अब दुनियाँ से, आँसू के सिवा कुछ पास नहीं या फूल ही फूल थे दामन में, या काँटों की […] Read more » मतलब की दुनिया सारी