कविता मदिरालय August 23, 2025 / August 23, 2025 by श्लोक कुमार | Leave a Comment ये उर है की मसलसल रूह में बसतातवायफ़ की अनुराग में काफिरअहोरात्र मदिरालय दिखताये शब ए दिन उसकी तस्वीर चूमताये चंचला मुझे तशवीश कर रही, हर लफ्ज कोबातील सा बता रही हैंमैं इन अश्कों को कहाँ ले जाऊये लतीफ से, अनिष्ट बनते जा रहे हैरूह, देह, मैं बिन तस्सवुर के होते जा रहे हैंखत्म हुआ […] Read more » मदिरालय