कविता मन में राम रहे September 1, 2025 / September 1, 2025 by उत्कर्ष तिवारी | Leave a Comment नर नारी के संकलन में।केवल यही अभिराम रहे।।वो किंचित ही ना सीता हो।फिर भी मन में राम रहे।। वो मंदोदरी सी नारी हो।या केकई बन अभिशाप बने।।वो राम बियोग में ना भी हो।फिर भी मन में राम रहे।। उर्मिला सा धैर्य हो थोड़ा।कौसल्या सा त्याग बने।।नीरा सा ना कष्ट सहे वो।मणिकर्णिका सा साहस रहे।। अवज्ञा […] Read more » मन में राम रहे