राजनीति मानसिक दिवालियेपन की हदें लांघते सियासी बोल-वचन April 12, 2013 / April 12, 2013 by सिद्धार्थ मिश्र “स्वतंत्र” | 2 Comments on मानसिक दिवालियेपन की हदें लांघते सियासी बोल-वचन – सिद्धार्थ मिश्र”स्वतंत्र” जिह्रवा ऐसी बावरी कह गई स्वरग पाताल, आप कही भीतर भई जूती खात कपाल । इन दिनों चल रहे सियासी व्यंगबाणों को देखकर ये दोहा आज और भी प्रासंगिक हो गया है । हो भी क्यों ना हमारे अनपढ़ या फर्जी डिग्री के बल पर खुद को शिक्षित बताने वाले जननायकों के […] Read more » मानसिक दिवालियेपन