कविता
मेरी ताकत लेखनी, तू रखता हथियार !
/ by डॉ. सत्यवान सौरभ
लुके-छिपे अच्छा नहीं, लगता अब उत्पात !कभी कहो तुम सामने, सीधे अपनी बात !!भूल गया सब बात तू, याद नहीं औकात !गीदड़ होकर शेर की, पूछ रहा है जात !!मेरी ताकत लेखनी, तू रखता हथियार !दोनों की औकात को , परखेगा संसार !!शीशों जैसे घर बना, करते हैं उत्पात !रखते पत्थर हाथ में, समझेंगे कब […]
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