कविता मेरे होने, न होने के बीच का अवकाश है तुम्हारे लिये … May 27, 2013 by पंकज त्रिवेदी | Leave a Comment मेरे होने, न होने के बीच का अवकाश है तुम्हारे लिये … कितना कुछ घुमड़ रहा है मेरे अंदर और बाहर से मेरे अंदर तक फैलता कोलाहल किसी धुएँ की तरह प्रदूषित कर देता है मेरे मन को… मैं हरपल – मेरे होने के साथ जीना चाहता हूँ मगर मेरे होने, न होने के […] Read more » न होने के बीच का अवकाश है तुम्हारे लिये ... मेरे होने