कविता मैं कोई किताब नहीं May 6, 2013 / May 6, 2013 by मंजुल भटनागर | 1 Comment on मैं कोई किताब नहीं मंजुल भटनागर मैं कोई किताब नहीं , एक कविता भी नहीं , एक शब्द भी नहीं , मेरा कोई अक्स नहीं , कोई रूप नहीं , सिर्फ भाव् है , विचारों का एक पुलिंदा है ——- विचार और भाव जब फैलते हैं दिगंत में प्रकृति के हर बोसे में , मेरा अक्स फैल जाता है […] Read more » मैं कोई किताब नहीं