लेख
मोबाइल की कैद
/ by प्रियंका सौरभ
मोबाइल ने छीन ली, हँसी-खुशी की बात।घर के भीतर भी नहीं, दिल से कोई साथ।। पिता लगे संदेश में, माँ का व्यस्त है फोन।बच्चा बोला ध्यान दो, मैं भी हूँ अब कौन? भाई-बहना पास हैं, फिर भी दूरी आज।मोबाइल की कैद में, रिश्तों का है राज।। बचपन भूला आँगना, खेल न छूता पाँव,बच्चे उलझे गेम […]
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