कविता योग की महिमा July 1, 2015 by विमलेश बंसल 'आर्या' | Leave a Comment -विमलेश बंसल ‘आर्या’ योग ऋत है , सत् है, अमृत है। योग बिना जीवन मृत है।। 1. योग जोड़ है, वेदों का निचोड़ है। योग में ही व्याप्त सूर्य नमस्कार बेजोड़ है।। 2. योग से मिटती हैं आधियाँ व्याधियाँ। योग से मिटती हैं त्वचा की कोढ़ आदि विकृतियां।। 3. योग जीवन को जीने की जडी […] Read more » योग की महिमा