कविता राजनीति तेरा चेहरा August 18, 2012 / August 18, 2012 by बलबीर राणा | Leave a Comment बलबीर राणा “भैजी” राजनीति तेरा चेहरा कितना बदल गया जन हित छोड स्वहित पर टिक गया राज नेता राज के लिये नहीं केवल ताज पहनने के लिये होते हैं देश प्रेम में महानुभाव देशद्रोहियों को पालते हैं विकाश की परपाटी को भ्रष्टाचार से पोतते हैं राजनीति तेरा चेहरा कितना बदल गया जन हित छोड […] Read more » poem by balbir rana राजनीति तेरा चेहरा