कविता रिश्तों की चिता.. April 7, 2025 / April 7, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment कभी एक आँगन था…जहाँ माँ की साड़ी की ओट मेंदुनिया छुप जाया करती थी।अब उसी आँगन में,“सीमा रेखा” खींची गई है…जमीनी नक्शे से रिश्तों का नापा जा रहा है! कभी जो थाली में एक साथ खाते थे—अब “हिस्से” गिने जाते हैं…और थाली से ज़्यादा “बयान”महत्त्वपूर्ण हो गए हैं।भाई नहीं बोलते अब— वो वकील से बात […] Read more » रिश्तों की चिता..