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Tag: लिखने की आजादी

व्यंग्य साहित्‍य

सोशल मीडिया इंश्योरेंस : लिखने की आजादी

October 22, 2016 by एम्.एम्.चंद्रा | Leave a Comment

सोशल मीडिया पर बोलने से पहले न सोचने की जरूरत है न पढ़ने की. जब किसी के लिखे को पढ़ने की जरूरत ही नहीं तो सोचने की जरूरत किसे है. आज किसके पास इतना टाइम रखा है जो पहले सो बार सोचे. जितना समय सोचने में लगायेगे, उतने समय में तो सोशल मीडिया पर लिख देंगे. आज टाइम की कीमत, लिखने की कीमत है, सोचने की नहीं. सोचने का काम दूसरे लोग करे. समझदार व्यक्ति वही होता है जो लिख दे, रही बात लेने- देने की तो वह सोशल मीडिया इंश्योरेंस कंपनी कर ही देंगी.

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लिखने की आजादी सोशल मीडिया इंश्योरेंस
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