कविता साहित्य लॉकडाउन के दिनों में April 5, 2020 / April 5, 2020 by अलका सिन्हा | Leave a Comment अलका सिन्हा बहुत गुरूर था जिन्हें अपने होने काबीमारी में भी नहीं लेते थे छुट्टीकि कुदरत थम जाएगी उनके बिनासफेद तौलिए से ढकी पीठ वाली कुर्सी पर बैठकरजो बन जाते थे खुदाआज वे सब हाथ बांधे घर में बैठे हैं। असेंशियल सेवाओं में नहीं है कहींउनके काम की गिनती! अलबत्ता उसका नाम है जिसके […] Read more » लॉकडाउन के दिनों में