कविता
लोरी
/ by डॉ राजपाल शर्मा 'राज'
आ जा ओ निंदिया रानी, तुझको बुलाऊं।काहे को रूठी मुझ से, लोरी सुनाऊं। माता अब बुढ़ी मेरी, गा नहीं पायेगी।अपने आंचल में मुझको, कैसे सुलाएगी।तन्हा-तन्हा-सा मैं, सोया घबराऊं।काहे को रूठी मुझ से, लोरी सुनाऊं। पहले तो निंदिया कितनी, अच्छी होती थी तू।मेरे नन्हें नैनों में, अच्छे से सोती थी तू।बचपन के प्यारे सपने ला मैं […]
Read more »