कविता वंदना November 19, 2012 / November 19, 2012 by विजय निकोर | 1 Comment on वंदना विजय निकोर सरलता का प्रवाह जो ह्रदय में बहकर उसके केन्द्र-बिन्दु में चाहे एक, केवल एक कोंपल को स्नेह से स्फुटित कर दे, और मैं अनुभव करूँ उस सरल स्नेह को बहते हर किसी के प्रति मेरे अंतरतम में, प्रभु, यही, बस यही वरदान दो मुझे । सरलता का आभास जो पी ले मेरा […] Read more » poem by vijay nikor वंदना