व्यंग्य साहित्य वे देख रहे हैं June 26, 2013 by विजय कुमार | 2 Comments on वे देख रहे हैं कल शर्मा जी के घर गया, तो वहां असम के वन विभाग में कार्यरत उनके एक पुराने मित्र वर्मा जी भी मिले, जो अपने 12 वर्षीय बेटे के साथ आये हुए थे। बेटे का पूरा नाम तो मनमोहन था; पर वर्मा जी उसे मन्नू कहकर बुला रहे थे। उन्होंने बताया कि वे अपने बेटे को […] Read more » वे देख रहे हैं