राजनीति व्यंग्य व्यंग्य बाण : आगे अम्मा की मरजी October 9, 2013 by विजय कुमार | Leave a Comment पिछले दिनों कई साल बाद एक घरेलू कार्यक्रम में गांव जाने का अवसर मिला। बहुत दिन बाद गया था, अतः पुराने संबंध और यादें ताजा करने के लिए मैं कुछ दिन और रुक गया। एक दिन मैं अपने पुराने मित्र चंपकलाल के घर बैठा गप लड़ा रहा था, तभी वहां एक अधेड़ महिला प्रेस के […] Read more » व्यंग्य बाण : आगे अम्मा की मरजी