व्यंग्य हास्य-व्यंग्य : शोकसभा का कुटीर उद्योग November 16, 2010 / December 19, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment आज सुबह-सुबह शोकसभानंदजी का हमारे मोबाइल पर अचानक हमला हुआ। मैं-तो-मैं, मेरा मोबाइल भी आनेवाली आशंका के भय से कराह उठा। शोकसभानंदजी की हाबी है उत्साहपूर्वक शोकसभा आयोजित करना। हर क्षण वह तैयार बैठे रहते हैं कि इधर किसी की खबर आए और उधर वे तड़ से अपनी शोकसभा का कुटीर उद्योग शुरूं करें। वैसे […] Read more » Requiem of a cottage industry पंडित सुरेश नीरव शोकसभा का कुटीर उद्योग हास्य-व्यंग्य