कविता
समय सिंधु
/ by प्रियंका सौरभ
समय सिंधु में क्या पता, डूबे; उतरे पार।छोटी-सी ये ज़िंदगी, तिनके-सी लाचार॥★★★सुबह हँसी, दुपहर तपी, लगती साँझ उदास।आते-आते रात तक, टूट चली हर श्वास॥पिंजड़े के पंछी उड़े, करते हम बस शोक।जाने वाला जायेगा, कौन सके है रोक॥होनी तो होकर रहे, बैठ न हिम्मत हार।समय सिंधु में क्या पता, डूबे; उतरे पार॥★★★पथ के शूलों से डरे, […]
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