व्यंग्य साहित्य मूर्ख परंपरा और समर्पित मूर्ख February 28, 2017 by अमित शर्मा (CA) | Leave a Comment मैं बचपन से मूर्ख रहा हूँ पर कभी इस पर गर्व नहीं किया, करता भी क्यों आखिर, गर्व मनुष्य द्वारा स्वअर्जित चीज़ों पर किया जाना चाहिए, प्रकृतिप्रदत्त वस्तुओ पर कैसा गुमान, वो तो आपके पूर्व जन्म में किये गए कर्मो का ही फल होता है, जो कभी बासी नहीं होता है। प्रकृति के इस “फल” […] Read more » मूर्ख परंपरा समर्पित मूर्ख