कविता रात रोता है मेरा,सवेरा रोता है मेरा November 5, 2019 / November 5, 2019 by सलिल सरोज | Leave a Comment रात रोता है मेरा,सवेरा रोता है मेरा तेरे बगैर यूँ ही गुज़ारा होता है मेरा तुम थे तो ज़िंदगी कितनी आसाँ थी अब हर काम दो-बारा होता है मेरा किस- किस पल को हिदायत दूँ मैं हरेक पल ही आवारा होता है मेरा तुझे नहीं तेरा साया ही तो माँगा था फ़कीरी किन्हें गवारा होता […] Read more » रात रोता है मेरा सवेरा सवेरा रोता है मेरा