कविता सांध्य किरणें July 13, 2013 / July 13, 2013 by विजय निकोर | Leave a Comment रोशनी की कुछ लंबी बीमार किरणें बड़ी देर से शाम से आज दामन में दर्द लपेटे, खिड़की पर पड़ी कमरे में अन्दर आने से झिझक रही हैं। यह कोमल सांध्य किरणें पीली, जाने कौन-सी व्यथा घेरे है इनके मृदुल उरस्थल को आज ! कोई दानव ही होगा जो कानों में सुना गया है इनको दु:ख […] Read more » सांध्य किरणें