कविता सावन और साजन August 25, 2020 / August 25, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment घोर घटाएं जब घिरने लगती है,तुम्हारी याद मुझे आने लगती है।रिम झिम रिम झिम जब बादल बरसे,मिलन की आस सताने लगती हैं।। साथ न हो सावन में साजन का,दिल में घुटन सी होने लगती है।बिन साजन सावन की भीगी राते,मुझको दुश्मन सी लगने लगती है।। दमकती है दामिनी जब नभ में,मुझको डर लगने लगता है।कही […] Read more » सावन और साजन