व्यंग्य दास्तान-ए-सुविधा शुल्क October 10, 2013 / October 10, 2013 by एम. अफसर खां सागर | 1 Comment on दास्तान-ए-सुविधा शुल्क एम. अफसर खां सागर शर्मा जी को हमे शा कसक रहता कि वे सरकारी मुलाजिम न हुए। जब भी हमारे यहां उनकी आमद होती, बस एक ही रट लगाते। भाई साहब… काश! मैं भी सरकारी मुलाजिम होता। मेरे पास भी आलीशान बंगला, ए.सी. कार व रूपये का भण्डार होता। चाश्नीदार पकवान, रेमण्ड के सूट ,रीबाक […] Read more » सुविधा शुल्क