कविता सूरज का डोला March 24, 2014 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment -प्रभुदयाल श्रीवास्तव- चिड़ियों ने जब चूं-चूं बोला, पूरब ने अपना मुंह खोला| उदयाचल अपने कंधे पर, ले आया सूरज का डोला| पीपल पर कोयल चिल्लाई, तब कौओं को भी सुध आई| कांव-कांव कहकर चिल्लाये, उठो सबेरा जागो भाई| फूलों पर भौंरे मंडराये, लगी भूख है रस मिल जाये| जीने का आधार चाहिये, थोड़ा सा ही […] Read more » poem on early morning सूरज का डोला