व्यंग्य साहित्य सेल्फी वाला पत्रकार नहीं हूं December 2, 2015 / December 7, 2015 by अशोक मिश्र | Leave a Comment अशोक मिश्र घर पहुंचते ही मैंने अपने कपड़े उतारे और पैंट की जेब से मोबाइल निकालकर चारपाई पर पटक दिया। मोबाइल देखते ही घरैतिन की आंखों में चमक आ गई। दूसरे कमरे से बच्चे भी सिमट आए थे। घरैतिन ने मोबाइल फोन झपटकर उठा लिया और उसमें कुछ देखने लगीं। मोबाइल को इस तरह झपटता […] Read more » सेल्फी वाला पत्रकार सेल्फी वाला पत्रकार नहीं हूं