कविता तुमने अभी हठधर्मिता देखी ही कहाँ है November 8, 2019 / November 8, 2019 by सलिल सरोज | Leave a Comment तुमने अभी हठधर्मिता देखी ही कहाँ है अंतर्मन को शून्य करने का व्याकरण मुझे भी आता है अल्पविराम,अर्धविराम,पूर्णविराम की राजनीति मैं भी जानती हूँ यूँ भावनाशून्य आँकलन के सिक्के अब और नहीं चलेंगे स्त्रियों का बाजारवाद अब समझदार हो चुका है खुदरे बाजार से लेकर शेयर मार्किट तक में इनको अपनी कीमत पता है तुम्हारी […] Read more » हठधर्मिता