गजल साहित्य हमको सपने सजाना जरुरी लगा January 1, 2016 by मनोज यादव | Leave a Comment तुम मिली जब मुझे दुनिया की भीड़ में, अपनी सुध-बुध गवाना जरुरी लगा, आस जागने लगी प्रीत की शब तले, हमको सपने सजाना जरुरी लगा, नींद छिनी रात की दिन का चैन लूटा, हाल तुमको बताना जरुरी लगा, चाहत की गलियों में हाँ संग तेरे, प्रेम दीपक जलाना जरुरी लगा, तेरे पहलू में […] Read more » हमको सपने सजाना जरुरी लगा