गजल हर वक्त तो हाथ में गुलाब नहीं होता September 5, 2013 by सत्येन्द्र गुप्ता | 2 Comments on हर वक्त तो हाथ में गुलाब नहीं होता हर वक्त तो हाथ में गुलाब नहीं होता उधार के सपनों से हिसाब नहीं होता। यूं तो सवाल बहुत से उठते हैं ज़हन में हर सवाल का मगर ज़वाब नहीं होता। शुहरत मेरे लिए अब बेमानी हो गई ख़ुश पाकर अब मैं ख़िताब नहीं होता। रात भर तो सदाओं से घिरा रहता हूँ मैं सुबह […] Read more » हर वक्त तो हाथ में गुलाब नहीं होता