कविता हिन्दी की दशा या दुर्दषा September 13, 2012 / September 13, 2012 by बलबीर राणा | 1 Comment on हिन्दी की दशा या दुर्दषा बलबीर राणा “भैजी” राष्ट्रभाषा अपनी क्षीणतर हो चली हिन्दी का हिंग्लिस बन खिंचडी बन चली अपनो के ही ठोकर से अपने ही घर में पराई बनके रह गयी आज विदेशी भाषा अपने ही घर में घुस मालिकाना हक जता रही उसके प्यार में सब उसे सलाम बजा रहे यस नो वेलकम सी यू कहकर शिक्षित […] Read more » हिन्दी की दशा या दुर्दषा