कविता हुंकार September 17, 2011 / December 6, 2011 by हिमकर श्याम | Leave a Comment हिमकर श्याम जब भी देनी चाही किसी ने आवाज वह हंसा- एक तीखी हंसी यूं देना चाहते हो तुम आवाज किसे ? यूं दे पाओगे कभी आवाज व्यवस्था को क्या ऐसी होती है आवाज बदलाव की यह नहीं है आवाज १२१ करोड़ आवाम की देखना, एक दिन तमाम प्रयासों छटपटाहटों और आक्रोशों के बावजूद […] Read more » हुंकार