कविता ‘फिर जुल्फ लहराए’ May 14, 2018 by कुलदीप प्रजापति | Leave a Comment ‘फिर जुल्फ लहराए’ फिजा ठंडी हैं कुछ पल बाद ये माहौल गरमाए। कहीं चालाकियाँ ये इश्क में भारी न पड़ जाए। ज़रा सी गुफ्तगू कर लें, बड़े दिन बाद लौटे हो, नज़ाकत हुस्न वालों के ज़रा हालात फरमाए। अहा! क्या खूबसूरत आपने यह रंग पाया हैं, निशा का चाँद गर देखे तो खुद में ही […] Read more » इश्क खूबसूरत ज़ियारत बद्दुआएँ सजदा