कविता
डोली व अर्थी में वार्तालाप
/ by आर के रस्तोगी
एक डोली चली, एक अर्थी चली,दोनो में इस तरह कुछ बाते चली। अर्थी बोली डोली से,तू पिया के घर चली,मै प्रभु के घर चली।तू डोली में बैठ चली,मै चार कंधो पर चली।फर्क इतना है दोनो में सखि,तू अपने जहां में चलीमै अपने जहां से चली।”एक डोली चली, एक अर्थी चली,दोनो में इस तरह कुछ बाते […]
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